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प्रतिरोधको का संयोजन, श्रेणी क्रम संयोजन क्या है?, समान्तर क्रम क्या है? With example






           प्रतिरोधको के निकाय का प्रतिरोध 

प्रतिरोधों को परस्पर संयोजित करने की दो विधियां हैं 
1. श्रेणी क्रम संयोजन 
2. समांतर क्रम संयोजन ( पार्श्व क्रम)
a. श्रेणी क्रम का उदाहरण 
b. समांतर क्रम का उदाहरण

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1. श्रेणी क्रम संयोजन :-


                                  जब दो या दो से अधिक प्रतिरोधक इस प्रकार जोड़े जाते हैं कि प्रत्येक प्रतिरोध का दूसरा सिरा उसके अगले प्रतिरोध के पहले सिरे से जोड़ता है तथा पहले प्रतिरोध का पहला शिरा वे अंतिम प्रतिरोधक का दूसरा सिरा बैटरी से जुड़े हो तो प्रतिरोध कों के इस संयोजन को श्रेणी क्रम संयोजन कहते हैं।


>>> श्रेणी क्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से समान धारा प्रवाहित होती हैं परंतु प्रत्येक प्रतिरोध का विभवांतर अलग अलग होता है। 



माना तीन प्रतिरोधों R1, R2 व R3 श्रेणी क्रम में संयोजित है इस सन्जयोन में परिपथ के हर भाग में धारा समान होती अर्थात प्रत्येक प्रतिरोधक से समान धारा प्रवाहित होती हैं माना प्रत्येक प्रतिरोध से I धारा प्रवाहित हो रही हैं ।


परंतु प्रत्येक प्रतिरोध की सिरो के मध्य विभवांतर का मान अलग-अलग होता है यदि प्रतिरोधक R1 R2 R3 के सिरों  के मध्य विभवांतर V1 , V2 व V3 हो तो तीनों प्रतिरोध का कुल विभवांतर V होगा।
               



चुँकी विभवांतर V  अन्य तीन  विभवांतर V1 ,V2  व V3 के योग के बराबर है अर्थात प्रतिरोधक के श्रेणी क्रम संयोजन के सिरों के बीच कुल विभवांतर व्यष्टिगत  प्रतिरोधको के  विभवांतर के योग के बराबर है-

         V =    v1  +  v2  +  v3                .........( 1 )


ओम के नियम से- 

प्रतिरोधक R1  के सिरों पर विभवांतर   V1     =    IR1  ........( 2 )

प्रतिरोधक R2 के सिरों  पर विभवांतर   V2   =     IR2  .......( 3 )

प्रतिरोधक  R3 के सिरों पर विभवांतर    V3   =    IR3  ......( 4 )


समीकरण ...( 1 ) में   ..( 2) .. (3 ) ... ( 4 ) के मान रखने पर-

             V   =  IR1  +  IR2  +  IR3     ..........( 5 )

 
माना तीनों प्रतिरोध को का तुल्य प्रतिरोध कथा उस में प्रवाहित धारा आई है तो कुल विभवांतर होगा-

ओम के नियम से-

                                   V  =  IReq          ........( 6 )


समीकरण  .....( 5 )  व   .....( 6 ) से

           IReq     =  IR1  +   IR2  +   IR3


 I Common लेने पर-
    

          IReq     = I ( R1  +  R2    +  R3 )

      so, 

       Req      =   R1   +   R2   +   R3      

                                                       ...... ( 7 )


समीकरण .....( 7 ) श्रेणी क्रम संयोजन का तुल्य प्रतिरोध है।

इस प्रकार हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जब बहुत से प्रतिरोधक श्रेणी क्रम में संयोजित होते हैं तो श्रेणी क्रम में संयोजित विभिन्न प्रतिरोधको  के  तुल्य प्रतिरोध का मान अलग-अलग प्रतिरोधको के प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है तथा इस प्रकार संयोजन का  तुल्य प्रतिरोध किसी भी व्यक्तिगत प्रतिरोधक के प्रतिरोध से अधिक होता है। 

 2. समांतर क्रम संयोजन (पार्श्व क्रम संयोजन ):-


                जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध को को इस प्रकार से जोड़ा जाता है कि सभी प्रतिरोधको के पहले सिरे एक बिंदु पर वह दूसरे सिरे दूसरे बिंदु पर रहे तथा पहले बिंदु को बैटरी के धन सिरे से व दूसरे बिंदु को बैटरी के ऋण सिरे से जोड़ा जाए तो प्रतिरोध को के इस प्रकार के संयोजन को समांतर क्रम या परसों क्रम संयोजन कहते हैं ।
 

 अर्थात्

                जब दो या दो से अधिक प्रतिरोध को इस प्रकार जोड़ा जाए कि सभी प्रतिरोधको के पहले सिरे एक बिंदु पर उभयनिष्ठ हो तथा दूसरा सिरा एक अन्य बिंदु पर उभयनिष्ठ हो इस प्रकार के संयोजन को समांतर क्रम संयोजन कहते हैं।


>>> समांतर क्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से प्रवाहित विद्युत धारा का मान अलग-अलग होता है तथा उनके सिरों के मध्य विभवांतर समान रहता है।


माना तीन प्रतिरोधक  R1 , R2 व R3  समांतर क्रम में संयोजित किया गया इस संयोजन में सभी प्रतिरोधक तारों के बीच पर विभवांतर V का मान तो समान रहता है परंतु प्रत्येक प्रतिरोधक में प्रवाहित धारा का मान अलग-अलग होता है ।




यदि प्रतिरोधक R1 ,R2 व R3 में प्रवाहित धारा का मान क्रमशः  से  I1  , I2   व I3 हो तथा परिपथ में विभवांतर V हो तो 

ओम के नियम अनुसार

 I1 = V / R1            .......( 1 )

I2 = V /R2              ........( 2 )

 I3 =  V / R3.        ........( 3 )



चुंकी परिपथ में प्रवाहित कुल विद्युत धारा I, सियाचिन की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित होने वाली प्रत्येक धाराओं के योग के बराबर है

     I   =   I1  +  I2   +  I3           ........ ( 4 )

समीकरण   ...... (1 ). ..... (2 ). .....( 3 ) का मान.....( 4 ) में रखने पर

            I  = V /R1 + V/R2+ V/R3.         ........ ( 5 )

माना प्रतिरोधको के पार्श्वक्रम / समांतर क्रम का तुल्य प्रतिरोध Rहैं प्रतिरोध कौन के समांतर संयोजन पर ओम का नियम लागू करने पर

                     I = V /Rp.     ..........(  6 )

समीकरण.....( 5 ) व.....( 6 ) से-

           V/Rp = V/R1  +  V/R2  +  V/R3

    V  Common लेने पर-
     

         V/Rp = V (1/R1  + 1/R2  +  1/R3)

         1/Rp = 1/R1  +  1/R2  +  1/R3.    ........... ( 7)

 समीकरण .....( 7 ) समांतर क्रम का तुल्य प्रतिरोध है।


इस प्रकार हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि जब बहुत से प्रतिरोधक समांतर क्रम में संयोजित होते हैं तो समांतर क्रम में संयोजित विभिन्न प्रतिरोधको  के  तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम अलग-अलग प्रतिरोधको के प्रतिरोधों  के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है तथा इस प्रकार संयोजन का  तुल्य प्रतिरोध किसी भी व्यक्तिगत प्रतिरोधक के प्रतिरोध से कम होता है। 

  Example (a).   

1.  एक विद्युत लैंप जिसका प्रतिरोध 20ओम हैं तथा 4 ओम प्रतिरोध का चालक 6 वोल्ट की बैटरी से श्रेणी क्रम में संयोजित है ज्ञात कीजिए परिपथ का कुल प्रतिरोध ।

हल -

 विद्युत लैंप का प्रतिरोध R'= 20 Ω 

चालक का प्रतिरोध R"= 4 Ω

परिपथ में कुल प्रतिरोध

  R  =  R'  + R"

  R =20Ω  + 4Ω

  R  = 24 Ω    ........ans. 


2. तीन प्रतिरोधों R, R' और R " के मान क्रमश:  5 ओम 10 ओम 30  ओम हैं तथा इन्हें  समांतर क्रम में संयोजित किया गया है तो परिपथ का कुल प्रतिरोध पर क्लिक कीजिए।
हल 

      R=5Ω

     R'=10Ω

     R"=30Ω
समांतर क्रम में कुल प्रतिरोध 
       

               1/Rp = 1/R + 1/R' + 1/R"

         
                     1/Rp = 1/5 + 1/10 + 1/30
                
                    1/Rp = 10/30=1/3
 so,       
               Rp =3 Ω.........ans. 

Thought :-


  " हर छोटा बदलाव बड़ी कामयाबी का हिस्सा होता है । "



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