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ओम का नियम क्या है? ओम के नियम का ग्राफ? प्रतिरोध क्या है?! ओम के नियम का सत्यापन

     





        ओम का नियम 

                                                                                    𝕊𝕔𝕚𝕄𝕚𝕤𝕥

           ( Ohm's law)

Table  of contents :-            


1 . ओम का नियम क्या है
2 . ओम के नियम का ग्राफ
   a ग्राफीय रूप में परिभाषा
 3  प्रतिरोध                                       
  a   मात्रक
  b  1ओम
  c परिवर्ती प्रतिरोध
  d धारा नियंत्रक
4. ओमीय और  अनओमीय 
5 . ओम के नियम का  सत्यापन

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1 . परिभाषा :-

            
              इस नियम के अनुसार किसी विद्युत परिपथ में धातु के तार के दो सिरों के बीच विभवांतर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है ,परंतु तार का ताप समान रहना चाहिए ,इसे ओम का नियम कहते हैं। 

अथवा

ओम के नियम (Ohm's Law) के अनुसार

        
                                                                   यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाए तो किसी प्रतिरोधक (या, अन्य ओमीय युक्ति) के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।

दूसरे शब्दों में 

       नियत ताप पर-
                                    V   ∝  I
    

                               V/I    = नियतांक

       माना नियतांक     " R "हैं  तो

                         V=IR              ........(1)

समीकरण  (1)  में किसी दिए गए धातु के लिए ,दिए गए ताप पर, R एक नियतांक है, जिसे तार का प्रतिरोध कहते हैं ! 

 Note :-

                    >>> सन 1827 में  जर्मन भोतिक वैज्ञानिक "जॉर्ज साईमन ओम" ने किसी धातु के तार में प्रवाहित विद्युत धारा तथा उसके सिरों के बीच 








2.ओम के नियम का ग्राफ:-

        
                 


  a.  ग्राफ के रूप में परिभाषा :-


                                           सरल रेखीय ग्राफ यह दर्शाता है कि जैसे-जैसे तार पर प्रवाहित विद्युत धारा पड़ती है विभवांतर रेखिक बढ़ता है यही ओम का नियम है।

उदाहरण निक्रोम तार के लिए V-I ग्राफ:-


3. प्रतिरोध :-


           किसी चालक का यह गुण है कि वह अपने में प्रवाहित होने वाले आवेश के प्रवाह  का विरोध करता है , इसे  प्रतिरोध कहते हैं।

      अर्थात्


                 किसी चालक का वह गुण जिसके कारण उसमें प्रवाहित  होने वाली विद्युत धारा का विरोध करता हो ,प्रतिरोध कहलाता है।


>>> इससे ग्रीक भाषा के शब्द ओमेग (omege)  से  लिया गया  है। 
  

a. मात्रक:-

           प्रतिरोध का   मात्रक ओम  है । इसे  Ω से निरूपित किया जाता है।

ओम के नियम से 

      यदि किसी चालक के दो सिरों के बीच विभवांतर Vहो तथा उसमें प्रवाहित धारा I हो तो चालक का प्रतिरोध
   

               प्रतिरोध = विभवांतर / धारा

                     R  = V / I

 b.   1 ओम :-


            यदि किसी चालक के सिरों के बीच उत्पन्न विभवांतर 1 वोल्ट है तथा उस में प्रवाहित विद्युत धारा 1 एम्पीयर है तो उस चालक का प्रतिरोध एक ओम होगा
       

          1 ओम = 1 वोल्ट/ 1 एंपियर

समीकरण......( 1 )    से स्पष्ट है कि किसी प्रतिरोधक से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा उसके प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती हैं।

                     I  ∝  1 / R

 
        उदाहरण  - यदि प्रतिरोध 2 गुना हो जाए तो विद्युत धारा आधी रह जाएगी।

 C.  परिवर्ती प्रतिरोध :-

              स्रोत की वोल्टता में बिना परिवर्तन किए परिपथ की विद्युत धारा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले अवयव  को "परिवर्तित प्रतिरोध "कहते हैं।


D.  धारा नियंत्रक :-

               किसी विद्युत परिपथ में परिपथ के प्रतिरोध को परिवर्तित करने के लिए प्राय: एक युक्ति का उपयोग किया जाता है जिसे "धारा नियंत्रक "कहते हैं।


4. ओम के नियम का सत्यापन:- 


निम्न चित्र अनुसार एक सेल B तथा धारा नियंत्रक Rh अमीटर A वोल्टमीटर  V तथा कुंज  K को श्रेणी क्रम में जोड़ते हैं।
अब चालक तार  PQ को वोल्टमीटर के समांतर क्रम में जोड़ देते है।







चालक तार में विभिन्न मान की धाराएं प्रवाहित कर एमीटर A से ज्ञात करते हैं इन सभी धाराओं के संगत विभवांतर वोल्ट मीटर V से ज्ञात करते हैं ।विभवांतर V  एवं धारा  I के पाठकों के मध्य ग्राफ खीचते हैं तो एक सीधी रेखा प्राप्त होती हैं । जिससे यह सिद्ध होता है कि -

"चालक के सिरों पर उत्पन्न विभांतर उस में प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।"

               ओम का नियम है !





5. ओमीय और  अनओमीय :-



प्रतिरोध  R, के साथ V विभवान्तर का स्रोत लगाने पर उसमें विद्युत धारा, प्रवाहित होती है। ये तीनों राशियाँ ओम के नियम का पालन करती हैं, अर्थात् V = IR.





ओमीय तथा अन-ओमीय युक्ति के
 I = V आरेख : 
इनमें से लाल रंग की सरल रेखा ओमीय युक्ति का और काले रंग की वक्र गैर-ओमीय युक्ति के वी-आई वैशिष्ट्य को निरूपित कर रही है




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